27 Mar 2018

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार होता है | What is the election Process of President of India

भारत का राष्ट्रपति, देश का प्रथम नागरिक होने के साथ साथ तीनों सेनाओं का प्रमुख भी होता है | भारत विदेश में जितने भी समझौते करता है वे सभी राष्ट्रपति के नाम से ही किये जाते हैं| भारतीय संविधान के भाग के अनुच्छेद 52 से 58 तक संघ की कार्यपालिका का वर्णन है| संघ की कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा महान्यायवादी शामिल होते हैं| भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने 25 जुलाई, 2012 भारत के 14वें राष्ट्रपति (13वें व्यक्ति) के रुप में कार्यभार सँभाला था।
राष्ट्रपति के पद हेतु अहर्ताएं (Eligibilities for President of India)
1. भारत का नागरिक हो
2. 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
3. लोक सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो
4.  किसी भी लाभ के पद पर न हो
इसके अतिरिक्त चुनाव के नामांकन के लिए कम से कम 50 लोगों ने उसके नाम का प्रस्ताव रखा हो और इतने ही लोगों ने अनुमोदन किया हो |
राष्ट्रपति के पद की अवधि, पद धारण की तारीख से 5 साल तक होती है| हालांकि वह इससे पहले भी कभी भी उपराष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र दे सकता है|
राष्ट्रपति के निर्वाचन में कौन-कौन वोट डालता है
राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है| किसी उम्मीदवार को, इस चुनाव में निर्वाचित होने के लिए कुल मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना होता है | राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष मतदान से नही करती है बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा इसका निर्वाचन किया जाता है| इस चुनाव में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इसमें सभी राज्यों का सामान प्रतिनिधित्व हो| इस निर्वाचन में निम्न लोग वोट डालते  हैं :
1. लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य नही)
2. राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य
3. दिल्ली और पुदुचेरी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य (केवल इन्ही दो केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य इसमें भाग लेते हैं)
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया इस प्रकार है (Election Procedure of President of India):
राज्य विधान सभाओं तथा संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या निम्न प्रकार निर्धारित होती है :-
a. प्रत्येक विधान सभा के निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या, उस राज्य की जनसंख्या को, उस राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों तथा 1000 के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने प्राप्त होती है |
एक विधयक के मत का मूल्य =   राज्य की कुल जनसंख्या
                          विधान सभा के निर्वाचित सदस्य x 1000
b. संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों की संख्या, सभी राज्यों के विधायकों के मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है |
एक संसद सदस्य के मतों का मूल्य = सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य
                                 संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या              
इस पूरी चुनाव प्रक्रिया को एक राज्य बिहार के उदाहरण की सहायता से इस प्रकार समझा जा सकता है:
चुनाव के बाद गणना के प्रथम चरण में प्रथम वारीयत के मतों की गणना होती है | यदि उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त कर लेता है तो वह निर्वाचित घोषित हो जाता है अन्यथा मतों के स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि कोई उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त नही कर लेता है |
राष्ट्रपति चुनाव से सम्बंधित सभी विवादों की जांच व फैसले उच्चतम न्यायालय में होते है और उसका निर्णय अंतिम होता है|
निम्न कारणों से राष्ट्रपति का पद खाली हो सकता है
1. कार्यकाल समाप्ति पर
2. उसके त्यागपत्र देने पर
3. महाभियोग द्वारा हटाये जाने पर
4. उसकी मृत्यु पर
5. यदि उसका निर्वाचन अवैध घोषित हो जाये
राष्ट्रपति पर महाभियोग शुरू करने की प्रक्रिया क्या है
केवल कदाचार अर्थात "संविधान का उल्लंघन" के मामले में ही महाभियोग लगाकर उसे पद से हटाया जा सकता है| महाभियोग पर आरोप संसद के किसी भी सदन में शुरू किया जा सकता है| कदाचार के आरोपों पर सदन(जिस सदन ने आरोप लगाये हों) के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए | महाभियोग का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात् इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है, जो कि लगाये गए आरोपों की जाँच करता है| यदि दूसरा सदन इन आरोपों को सही पाता है और महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित कर देता है तो राष्ट्रपति को विधेयक पारित होने की तिथि से अपने पद से हटा दिया जाता है| ज्ञातब्य है कि इस महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति द्वारा नामित किये गए सदस्य भाग नही लेते हैं|
राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति (Constitutional Status of the President)
भारत के संविधान में सरकार का स्वरुप संसदीय है| यहाँ पर राष्ट्रपति केवल कार्यकारी प्रधान होता है और मुख्य शक्तियां प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में निहित होती हैं अर्थात भारत का राष्ट्रपति अपने अधिकारों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की सलाह पर करता है |
डॉक्टर आंबेडकर की नजरों में राष्ट्रपति की स्थिति इस प्रकार :
‘भारतीय संविधान में, भारतीय संघ के कार्यकलापों का एक प्रमुख होगा जिसे संघ का राष्ट्रपति कहा जायेगा |’
अर्थात भारत का राष्ट्रपति:-
1. भारतीय संविधान के अंतर्गत राष्ट्रपति की स्थिति वही होगी जो कि ब्रिटेन में राजा की है |
2. वह राष्ट्र का प्रमुख होता है, परन्तु कार्यकारी नही होता है क्योंकि भारत के संविधान में कार्यकारी प्रमुख तो यहाँ का प्रधानमंत्री होता है |
3. वह राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, उस पर शासन नही करता है |
4. वह राष्ट्र का प्रतीक होता है, सभी विदेशी समझौते उसी के नाम से किया जाते हैं |
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत के राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है लेकिन इससे एक यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि इस चुनाव में सभी राज्यों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से पूरा प्रतिनिधित्व दिया गया है |

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