27 Mar 2018

भारत के राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती कैसे होती है | How Do The Votes of Indian Presidential Elections Count

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है. किसी उम्मीदवार को, इस चुनाव में निर्वाचित होने के लिए कुल मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना होता है. राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष मतदान से नही करती है बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा इसका निर्वाचन किया जाता है. इस चुनाव में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इसमें सभी राज्यों का सामान प्रतिनिधित्व हो.
राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्न लोग वोट डालते हैं :
1. लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य नही)
2. राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य
3. दिल्ली और पुदुचेरी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य (केवल इन्ही दो केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य इसमें भाग लेते हैं)
आइये अब जानते हैं कि किस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती होती है
भारत के 14 वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए 17 जुलाई को मतदान हुआ था और 20 जुलाई को वोटों की गिनती हो रही है. इस चुनाव में करीब 99% मतदान हुआ था.
president election 2017

1. राष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद भवन में एक मतदान केंद्र सहित विभिन्न राज्यों में 32 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे. सभी मतपेटियों को संसद भवन पहुंचा दिया गया है. वोटों की गिनती 11 बजे शुरू होगी और सबसे पहले संसद भवन की मतपेटी खोली जाएगी. इसके बाद सभी राज्यों की मतपेटियों को वर्णमाला के क्रम (Alphabetical order ) में खोला जाएगा; अर्थात सबसे पहले “A” अक्षर से शुरू होने वाले राज्यों की मत पेटी को खोला जायेगा.
2. निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य को केवल एक मत पत्र दिया जाता है. मतदाता को मतदान करते समय उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता क्रम संख्या जैसे 1,2,3,4 इत्यादि लिखनी होती है. अतः मतदाता उम्मीदवारों को उतनी वरीयता दी सकता है जितने उम्मीदवार होते हैं. वर्तमान चुनाव में केवल 2 उम्मीदवार हैं इसलिए वरीयता क्रम सिर्फ 1 और 2 ही होगा.
नोट: यहाँ पर यह बात ध्यान रखने वाली है कि राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है. राष्ट्रपति वही व्यक्ति बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा (50% से एक वोट ज्यादा) हासिल करे.
3. ज्ञातव्य है कि वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव के लिए जितने सदस्यों को वोट देना हैं उनके सभी वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है अर्थात जीत के लिए कैंडिडेट को 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे. जो प्रत्याशी सबसे पहले यह कोटा हासिल करता है, वह राष्ट्रपति चुन लिया जाता है.
4. वोटों की गणना में सबसे पहले सभी मतपत्रों पर दर्ज पहली वरीयता के मत (अर्थात जिन पर 1 नम्बर लिखा होता है) गिने जाते हैं। यदि इस पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए जरूरी वेटेज का कोटा (5,49,442 वोट) हासिल कर ले, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. लेकिन अगर ऐसा न हो सका, तो फिर एक और कदम उठाया जाता है.
5. पहले चरण की गिनती के बाद उस कैंडिडेट को रेस से बाहर किया जाता है जिसे पहले चरण में सबसे कम वोट मिलते हैं. लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बाहर किये गए कैंडिडेट को दूसरे नम्बर के जितने वोट मिलते हैं उनको रेस में बचे हुए कैंडिडेट को बराबर बराबर बांटा जाता है.
6. यदि ये वोट मिल जाने से किसी उम्मीदवार के कुल वोट तय संख्या  (5,49,442 वोट) तक पहुंच गए तो वह उम्मीदवार विजयी माना जाता है अन्यथा दूसरे दौर में सबसे कम वोट पाने वाला रेस से बाहर हो जाएगा और यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जाएगी.
7. सेकंड प्रायॉरिटी (नम्बर 2 के वोट) के वोट ट्रांसफर होने के बाद सबसे कम वोट वाले कैंडिडेट को बाहर करने की स्थिति आने पर अगर दो प्रत्याशियों को सबसे कम वोट मिले हों, तो बाहर उसे किया जाता है, जिसके फर्स्ट प्रायॉरिटी वाले वोट कम हों.
8. अगर अंत तक किसी प्रत्याशी को तय कोटा न मिले, तो भी इस प्रक्रिया में कैंडिडेट बारी-बारी से रेस से बाहर होते रहते हैं और आखिर में जो बचेगा, वही विजयी होगा.
9. इस प्रकार इस प्रक्रिया में वोटर का सिंगल वोट ही ट्रांसफर होता है. यानी ऐसे वोटिंग सिस्टम में कोई बहुमत वाला दल अपने दम पर जीत का फैसला नहीं कर सकता. यानी जरूरी नहीं कि लोकसभा और राज्यसभा में जिस पार्टी का बहुमत हो, उसी का प्रत्याशी जीते. चुनाव में विधायकों का वोट भी अहम भूमिका निभाता है.
इस प्रकार हमने पढ़ा कि इस चुनाव की गणना प्रक्रिया कितनी जटिल है. यहाँ पर यह बताना भी जरूरी है कि लोक सभा और राज्य सभा दोनों के सदस्यों के वोटों का मूल्य समान होता है लेकिन विधानसभाओं के मामले में वोटों की वैल्यू कम–ज्यादा होती है. विधानसभाओं के वोटों की वैल्यू उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है. जिस राज्य की जनसंख्या सबसे ज्यादा होती है उसके वोटों की वैल्यू सबसे ज्यादा होती है. अर्थात राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधयाकों की वोट वैल्यू सबसे ज्यादा होती है.

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