10 Jan 2019

परिवार ने मांगा 25 लाख मुआवजा और सुप्रीम कोर्ट ने दिलाये 50 लाख | Suprem...


  नमस्कार दोस्तो हमारी Supreme Court जिस तरह से कानून का इस्तेमाल करके देश के लोगो के हित के लिए काम करती है वो बहुत ही सराहनीय है Supreme Court सिर्फ कानूनो पर ही नही चलता बल्कि देश के हित मे अपने Order Pass करके कानून का निर्माण भी कर देता है । ऐसा ही कुछ हुआ इस केस मे -
खाडी देश में मजदूर के तौर पर काम करनेवाले केरलके एक श्रमिक की मौत के बाद परिवार ने 25 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर मांगे। 2008 में परिवार ने मोटर ऐक्सिडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल (एमएसीटी) में 25 लाख रुपये की मांग की थी। 10 साल तक चली कानूनी जंग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख की जगह पर परिवार को 50 लाख रुपये ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। मांगी गई रकम से दोगुना मुआवजा देने का सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है ।

क्या हुआ था इस मामले मे

10 मई 2008 को हुए ऐक्सिडेंट में केरल इस्माइल की मौत हो गई थी। इस्माइल अपने पीछे परिवार में 22 साल की विधवा और दो मासूम बच्चों के साथ 90 साल के बुजुर्ग पिता को छोड़ गए। दोहा में इस्माइल एक फूड सेंट 2500 कतर रियाल (30,000) रुपए की नौकरी करते थे। परिवार ने मौत के बाद एमएसीटी वरकारा में मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपए की मांग की।


क्यो दिया 50 लाख


सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सर्वोच्च अदालत की ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि वह मुआवजे की जो रकम मांगी गई है उससे अधिक देने का आदेश नहीं दे सकती। सेक्शन 168 के तहत मोटर वीइकल ऐक्ट 1988 के प्रभावी होने के वक्त से ही यह मुआवजे आवंटन का काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट को इस रकम को अगर उचित लगे तो बढ़ाने का पूरा अधिकार है।


कैसे हुआ ये Amount Double

इस केस में ट्राइब्यूनल ने 11.83 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर परिवार को देने का आदेश दिया था। 7.5 फीसदी ब्याज के साथ यह रकम लौटाने का आदेश ट्राइब्यूनल ने दिया। केरल हाई कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 21.5 लाख रुपए कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने परिवार की दशा को देखते हुए यह रकम बढ़ाकर 28 लाख की और इसमें 8% के सालाना ब्याज को भी जोड़कर देने का आदेश दिया। इस वजह से कुल मुआवजे की रकम 50 लाख तक पहुंच गई।
मांगी गई रकम से दोगुना मुआवजा देने का सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है । दोस्तो  MACT Act मे मुआवजा जिन बातो को आधार बनाकर दिया जाता है उनमे Court को बहुत सी बातो को ध्यान मे रखना होता है मसलन
  1. वो व्यक्ति कितना कमाता था
  2. उसकी उम्र कितनी थी
  3. परिवार मे कितने सदस्य थे
  4. Income Tax कितना भरता था
  5. उसकी Future  Income कितनी होती
इसी तरह की बहुत सी बातो को ध्यान मे रखकर Courtअपना फैसला सुनाती है
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