4 Apr 2018

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 | Scheduled Castes & Scheduled Tribes [Prevention Of Atrocities] ST/SC Act- 1989

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 | Scheduled Castes & Scheduled Tribes [Prevention Of Atrocities] ST/SC Act- 1989 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लेकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने देश भर के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन करते हुए काफी तोड़ फोड़ की है. इन लोगों ने कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 से जुड़े एक मामले के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करने के लिए ये सब किया है.
आखिर क्या है SC/ST एक्ट और क्या फैसला सुनाया था कोर्ट ने इस एक्ट पर जिसके चलते इस जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों को ये कदम उठाना पड़ा. इसकी जानकारी नीचे दी गई है.

क्या होता है अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 (Scheduled Castes and Scheduled Tribes Act, 1989)

इस अधिनियम के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी इस जाति से ताल्लुक रखने वाले लोग पर करता है, तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है. इतना ही नहीं उस व्यक्ति को जमानत भी नहीं दी जाती है.
क्या था पूरा मामला
हाल ही में इस समुदाय से नाता रखने वाले एक आदमी ने सुभाष काशीनाथ महाजन नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. महाजन महाराष्ट्र राज्य में बतौर एक सरकारी अधिकारी के रुप में कार्य करते हैं. महाजन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाले इस आदमी ने अपनी शिकायत में कहा था कि है कि उनपर दो सरकारी कार्मचारियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. लेकिन इस मामले में महाजन ने, उन कार्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने दी.
इस शख्स का आरोप है कि दूसरी जाति से नाता रखने वाले इन दो कर्माचारियों ने एक रिपोर्ट में उसके खिलाफ ये टिप्पणी की थी. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले की कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी से मंजूरी मांगी. लेकिन वरिष्ठ अधिकारी यानी महाजन ने पुलिस को इजाजत नहीं दी. जिसके बाद महाजन के खिलाफ भी पुलिस ने एक मामला दर्ज कर लिया. वहीं महाजन ने अपना बचाव करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया.
क्या था कोर्ट का फैसला
देश के उच्चतम न्यायालय के पास जब ये मामला पहुंचा तो कोर्ट ने इसपर  सुनवाई करते हुए, अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट के अनुसार एकदम होने वाली गिरफ्तारी को सही नहीं बताया था. कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस एक्ट के चलते देश की अन्य जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों से उनके बोलने का अधिकार छीना जा रहा. इसके अलावा कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इस एक्ट के अंतर्गत दर्ज होने वाले मामलों पर एंटीसिपेटरी जमानत को भी मंजूरी दे दी है.
इतना ही नहीं कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत अगर किसी सरकारी कर्माचारी के खिलाफ कंप्लेंट होती है तो, उस अधिकारी को एकदम से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और इस आधिकारी को गिरफ्तार करने के लिए अथॉरिटी की मंजूरी लेनी होगी. वहीं अगर किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ इस एक्ट के तहत शिकायत की जाती है तो उस व्यक्ति की गिरफ्तार करने के लिए SSP की मंजूरी जरूरी होगी.
कोर्ट के इसी आदेश के बाद इस जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए देश को बंद कर दिया.

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